रविवार, 18 जुलाई 2021

कोविड- 19 ने हमसे छीना पिता का साया, भयावह स्थिति से गुजर रहा हमारा प्रदेश


राजकाज न्‍यूज, भोपाल

कोविड- 19 ने पिछले दिनों हमसे हमारे पिता ( रामचन्‍द्र धनोतिया आत्‍मज् स्‍व. मन्‍नालाल जी धनोतिया उम्र 86 वर्ष ) को छीन लिया। 24 अप्रैल को अचानक ही इस महामारी का प्रवेश हमारे पिता के शरीर को माध्‍यम बना का हमारे हंसते - खेलते घर में प्रवेश कर गया। पिता का सीटी स्‍केन कराया तो उसमें किसी प्रकार का इंफेक्‍शन नही पाया गया। आरटी- पीसीआर रिपोर्ट भी निगेटिव्‍ह आई। लेकिन उनके ब्‍लड सेम्‍पल में काफी इंफेक्‍शन पाया गया। हमारे पारिवारिक चिकित्‍सक ने उसी दिन से हमें अप्रत्‍यक्ष रूप से चेता दिया था कि आप लोग अपना और परिवार का खयाल रखिये बाऊजी यानि हमारे पिता रामचन्‍द्र धनोतिया की सेवा भी करते रहें।

चिकित्‍सक का इशारा हम भी समझ गये थे। घर के सदस्‍य खासकर मैं ( राजेन्‍द्र धनोतिया ) और मेरा छोटा भाई ओमप्रकाश उनके समीप रहते है, इसलिये उनके भी कोरोना के संक्रमण से प्रभावित होने की पूरी संभावना है। हुआ भी ऐसा ही घर में एक के बाद एक लगभग सभी कम - ज्‍यादा इस महामारी की चपेट में आते गये। मेरा बेटा अजय और पत्‍नी वंदना भी इस संक्रमण की जद में आ गये। मां और बेटी को भी आंशिक असर रहा। लेकिन उन्‍हें इस महामारी के ज्‍यादा असर से बचाकर रखने में हम सफल रहे। सभी ने कोरोना से बचाव के लिए चिकित्‍सक की सलाह पर दवाएं लेना शुरू कर दी। यह सब तो चल ही रहा था और दूसरी ओर पिता की तबियत लगातार खराब होती जा रही थी। बात उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराने की हुई, लेकिन हालात इतने खराब थे कि अस्‍पताल में भर्ती कराने के नाम पर ही थर्रथर्राहट आ जाती थी। रोज ही अस्‍पतालों की स्थिति को लेकर सुनते आ रहे थे। आखिरकार हमने पिता के ऑक्‍सीजन की व्‍यवस्‍था घर में ही की और चिकित्‍सक के परामर्श पर इलाज जारी रखा। 27 अप्रैल को लगा कि पिता ठीक हो रहे है, लेेकिन यह हमारा भ्रम साबित हुआ। उनकी शारीरिक गतिविधियां लगातार घटती जा रही थी, उन्‍हें आहार और दवाएं देना भी मुश्किल होता जा रहा था।

30 अप्रैल को हालात और बिगड़े। इस बीच जब मैंने अपना सीटी स्‍केन कराया तो 1 मई को मेरी रिपोर्ट में भी संक्रमण दिखाई‍ दिया। चिकित्‍सकों ने कहा कि आपको भी अस्‍पताल जाकर अपना इलाज कराना होगा। शाम होते- होते मैंने भी अस्‍पतालों में एडमिट होने के प्रयास शुरू कर दिये, लेकिन दिक्‍कत यह थी कि कोविड- 19 प्रोटोकाल के हिसाब से मेरी आरटी- पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव्‍ह होना चाहिए थी, तभी एडमिशन मिल सकता था। देर शाम तक भोपाल कमिश्‍नर के सहयोग से गांधी मेडिकल कॉलेज पहुंचा। वहां भी तात्‍कालिक जांच में रिपोर्ट निगेटिव्‍ह आई। रात्रि में गांधी मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. लोकेन्‍द्र दवे के पास पहुंचा। उन्‍होंने कुछ जांच के बाद कहा कि आपको चिकित्‍सालय में जाने की जरूरत नहीं है, दवाओं से ही कंट्रोल हो जाएगा। क्‍योंकि मेरा टेम्‍प्रेचर और ऑक्‍सीजन सेच्‍युरेशन नार्मल आ रहा था। सांस लेने में भी कोई दिक्‍कत नहीं थी। कुछ राहत मिली। रात्रि में घर आए और फिर से पिता की तिमारदारी मेें जुट गये। हमारे पारीवारिक चिकित्‍सक डॉ. योगेश मल्‍होत्रा ने भी पहले ही हमारे संक्रमण को भांप कर दवाएं शुरू कर दी थी, संभवत: इसीलिए संक्रमण आगे बढ़ने से थम गया था। 2 मई को जब हम पिता के पार्थिव शरीर को लेकर विश्राम घाट की ओर जा रहे थे, तभी आरटी- पीसीआर की रिपोर्ट पॉजिटिव्‍ह आ गयी।

इधर, 1 मई की देर रात्रि पिता की हालत ज्‍यादा खराब हो गयी। ऑक्‍सीजन लेवल यानि सेच्‍युरेशन लगातार गिरने लगा। 2 मई की सुबह साढ़े चार बजे मैंने उनकी सांसों को चलते देखा। आक्‍सीजन सेच्‍युरेशन कम ही आ रहा था। भगवान से प्रार्थना करते हुए सो गया। सुबह छोटे भाई और बेटे अजय ने देखा पिता अचेत अवस्‍था में है। मुझे उठाया। मैंने तत्‍काल चिकित्‍सक डॉ. मल्‍होत्रा को मोबाइल लगाकर स्थिति बताई। इस बीच उनकी छाती पर लगातार पंप करता रहा। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। हमारे सिर से पिता का साया जा चुंका था। इस महामारी के कारण हालात ऐसे बने कि मेरे बड़े भाई प्रदीप धनोतिया और सबसे छोटा भाई डॉ. गोपाल धनोतिया इंदौर से भोपाल नहीं आ सके, क्‍योंकि हमारे घर के लगभग सभी सदस्‍य कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके थे। उन्‍हें चिकित्‍सकों ने घर में प्रवेश एवं अंतिम संस्‍कार में भाग लेने की अनुमति नहीं दी। वैसे भी कोरोना संक्रमण के कारण पिता का पार्थिव शरीर ज्‍यादा देर तक घर में रखना ठीक नहीं था।

कुछ मित्रों को जानकारी दी। भोपाल कमिश्‍नर से अनुरोध‍ किया तो उन्‍होंने शव वाहन की व्‍यवस्‍था करवायी।  शव वाहन आ गया। लेकिन पिता के शरीर को हाथ लगाने से कर्मी ने भी मना कर दिया। मेरे बेटे ने हिम्‍मत की, कुछ मदद मैंने भी कि और पिता के पार्थिव शरीर को शव वाहन तक लेकर गया। मेरा बेटा एवं छोटा भाई ओमप्रकाश अपनी वाहन से विश्राम घाट पहुंचे। मना करने के बाद भी मेरे दो मित्र भदभदा विश्राम घाट पर पहुंचे। वहां के हालात देखकर तय किया कि इलेक्‍ट्रीक शवगृह में अंतिम संस्‍कार किया जावें। वहां की औपचारिकताएं पूरी की। मेरे बचपन का मित्र विश्राम घाट की व्‍यवस्‍थाएं संभाल रहा है, तो उसने भी सभी औपचारिकताएं पूरी करवाई। अंतिम संस्‍कार के लिए पहले से ही 2 पार्थिव देह इंतजार में थी। लगभग ढाई घंटे के इंतजार के बाद किसी तरह पिता का अंतिम संस्‍कार किया। और अस्थियों का संचय कर उसे वहीं लॉकर में सुरक्षित रख कर घर लौटे।

यह स्थिति तो मेरे घर की थी, लेकिन इन दिनों और इसके पूर्व मेरे दो पारीवारिक मित्रों और उनकी माताओं ने भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मदद के लिए मैंने काफी प्रयास किये। प्रदेश नेताओं एवं अधिकारियों को मोबाइल पर उनकी मदद के लिए लगातार अनुरोध करता रहा। किसी तरह से कुछ व्‍यवस्‍थाएं भी जुटाई। शुरूआत के दिनों में तो सभी ने मदद की, लेकिन एक स्थिति यह भी बनी कि उन्‍होंने मेरा मोबाइल उठाना और मैसेज का जवाब देना बंद कर दिया। जब मुझे स्‍वयं को जरूरत पड़ी तो भी उन्‍होंने कोई जवाब नहीं दिया। उनकी अपनी समस्‍याएं है, प्रदेश के हालात बहुत खराब है। मैं, भी समझता हूं। सबकी अपनी दिक्‍कतें और परेशानियां है। यहां एक जिक्र जरूर करना चाहूंगा। हमारी राजधानी के पूर्व सांसद और मेरे अनुज तुल्‍य आलोक संजर की सेवाभाव का। उनका कोई दूसरा सानी नहीं हो सकता। मैंने उन्‍हें जब भी मदद का अनुरोध किया उन्‍होंने हर संभव मदद की। यहां तक कि जब मेरे एक वरिष्‍ठ और पारिवारिक मित्र को प्‍लाज्‍मा की जरूरत हुई तो उन्‍हाेंने अपने परिवार में संकट का समय होने के बाद भी दो बार अपने परिवार के सदस्‍यों से प्‍लाज्‍मा डोनेट करवाकर प्‍लाज्‍मा की व्‍यवस्‍था करवाई। उनके बारे में लिखना तो बहुत चाहता हूं, लेकिन इस बीच इतना ज्‍यादा घट चुका है कि अब ज्‍यादा संभव नहीं है। कई पारीवारिक मित्रों के यहां इस महामारी ने नुकसान पंहुचाया। लगभग दिनभर ही अपने आस - पास के लोगों स्‍वजनों की मौत की खबर आ रही है। भोपाल एवं इंदौर में तो हालात काफी खराब है। सरकार कह रही है स्थिति नियंत्रण में आती जा रही है। भगवान उनकी इस बयानबाजी पर मोहर लगाये ताकि मौतों का यह तांडव किसी तरह से थमे और आगे किसी स्‍वजन के संक्रमण का शिकार होने की अशुभ सूचना से बचा जा सके।

                                                                                                                                                                                             राजेन्‍द्र धनोतिया

                                                                                                                                                                                  जी-2, 186 गुलमोहर कॉलोनी, भोपाल

                                                                                                                                                                                      मोबाइल- 9425015651