शनिवार, 25 अगस्त 2012

गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को मिल सकता है, एक मौका

राजेन्द्र धनोतिया, भोपाल
गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को सिलेक्शन के माध्यम से आईएएस में आने का एक मौका और मिल जाए, इसके प्रयास इस बार तेज हो गए हैं। इसके पीछे मुख्य कारण मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं मुख्य सचिव आर. परशुराम की रुचि होना है। फिलहाल इस संबंध राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के दो अधिकारियों द्वारा कैट में लगाई गयी याचिका के कारण किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं हो पा रहा है। उधर,  एसएएस से आईएएस के लिए वर्ष 2012 की रिक्तियों के निर्धारण की जानकारी के साथ सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव की केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय में हाल ही में बैठक हो चुकी है, लेकिन निर्णय की स्थिति अभी भी नहीं बनी है।
गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को वर्ष 2006 से आईएएस में सिलेक्शन का इंतजार है। पहले तो इन सेवाओं के अधिकारियों की आपसी शिकायतों के कारण ही यह मामला उलझता रहा। गत वर्ष भी इस संबंध में प्रयास हुए, तब एक अधिकारी की शिकायत के कारण ऐन मौके पर साक्षात्कार की तिथि तय नहीं हो पाई। इस वर्ष मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव की रुचि के कारण इस दिशा में कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ ही रही थी कि इस बीच एसएएस के दो अधिकारी डॉ. रविकांत एवं श्रीमती शशिकला खत्री ने कैट में याचिका लगा दी। इसकी सुनवाई 29 अगस्त को होना है।
गैर राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस में सिलेक्शन के पीछे मुख्यमंत्री की रुचि उनके एक सहपाठी रहे अधिकारी के कारण बनी हुई हैं। इसी प्रकार मुख्य सचिव जब अपर मुख्य सचिव ग्रामीण विकास रहे थे, तब उन्होंने ग्रामीण विकास में योगदान दे रहे कुछ अधिकारियों की परफार्मेस देखी थी। बताते हैं कि उनकी इच्छा इनमें से एक-दो अधिकारियों को आईएएस में लाने की है। सिलेक्शन के पक्षधरों का कहना है कि इस संबंध में अन्य प्रदेशों में तो मुख्यमंत्री सीधे सिलेक्शन के लिए सिफारिश कर देते हैं। मप्र में तो इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया अपनाने में ही लंबा समय निकल जाता है। पदों के लिए गणना का भी तरीका है। वैसे पदों का निर्धारण राज्य सरकार सीधे भी कर सकती है। यह राज्यों की परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि वह कितने पद सिलेक्शन से भरना चाहता है, क्योंकि अन्य सेवा से आईएएस में सिलेक्शन के लिए अधिकारियों की विशेषज्ञता के लाभ दर्शाना होते हैं। पदों की गणना भी राज्य के विवेकाधीन है।
एसएएस का भी बढ़ रहा इंतजार
केंद्र से तीन वर्ष की रिक्तियां निर्धारण के लिए राज्य को लिखने के बाद इसकी तैयारी भी कर ली गयी और चाही गयी जानकारी केंद्र को भेज दी गयी थी। इसके बाद केंद्र ने रिक्तियों के निर्धारण के लिए जीएडी के अधिकारी को 23 अगस्त को दिल्ली बुलाया। सूत्रों ने बताया कि यह बैठक हो गयी है, लेकिन रिक्तियों के संबंध में अभी किसी अंतिम निर्णय की स्थिति नहीं हैं। कहा जा रहा है कि यदि तीन वर्ष की रिक्तियों की स्वीकृति मिलती है तो कुल 26 एसएएस अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नत का मौका मिल सकेगा।
वर्ष 2010 में 8 पद, वर्ष 2011 में 11 पद (इस वर्ष में वैसे 14 पदों की बात भी इसके पूर्व कही जाती रही है, लेकिन संभवत: अब गणना के बाद 11 पद ही निकल पा रहे हैं।) तथा केंद्र के सुझाव पर वर्ष 2012 के पद भी रिक्तियां निर्धारण में शामिल कर लिए जाते हैं, तो इस वर्ष के 7 पद इसमें शामिल हो जाएंगे।
वैसे मप्र कैडर के रिव्यू में मिले पदों की वर्ष 2011 एवं 2012 में रिक्तियों का स्पष्ट निर्धारण भी होना है। यही नहीं पूर्व की एक डीपीसी के पचड़े में फंसा पद भी डीपीसी की तारीख तय करने के बीच अब तक अडंÞगा लगाए हुए है। यूपीएससी के निर्देश पर ही वर्ष 2011 में वर्ष 2010 एवं 2011 में रिक्त पदों एवं कैडर रिव्यू में मिले पदों की रिक्तियों को निकाल कर डीपीसी करने का निर्णय लिया गया था। एसएएस के अधिकारी मूलचंद वर्मा मामले का निर्णय भी अभी तक नहीं हो सका है।
यूं हुआ विलंब
एसएएस के अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नति के लिए वर्ष 2010 में 8 पदों (रिक्तियां निर्धारण) की स्वीकृति मिली है। चूंकि वर्ष 2009 की सिलेक्ट लिस्ट की प्रभावशीलता दिसंबर 2011 तक थी, इसलिए वर्ष 2010 के रिक्त पदों के लिए डीपीसी नहीं हो सकी थी। जब जीएडी ने यूपीएससी को वर्ष 2010 की डीपीसी का प्रस्ताव भेजा था, तो यूपीएससी ने वर्ष 2010 एवं 2011 की डीपीसी एक साथ करने का सुझाव दिया। जीएडी भी इससे सहमत हो गया। उसने यूपीएस-सी के प्रस्ताव को मानकर इसकी तैयारी शुरू कर दी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 की रिक्तियों पर डीपीसी करने पर उसकी सिलेक्ट लिस्ट की प्रभावशीलता 31 दिसंबर 2012 तक रहेगी। ऐसे में एक वर्ष की डीपीसी करने पर वर्ष 2011 की रिक्तियों के लिए डीपीसी नहीं की जा सकती थी। जीएडी ने वर्ष 2011 की रिक्तियों के निर्धारण का प्रस्ताव भी यूपीएससी को भेजा दिया था। वहां से डीपीसी के लिए पत्र आने के पूर्व ही वर्ष 2012 की रिक्तियां भी शामिल करने का पत्र आ गया। इसको लेकर हाल ही में बैठक भी हो गयी, लेकिन फिलहाल मामला आगे नहीं बढ़ सका।

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